हाय, विनीत मैं दिवाली ke मौक़े पर शहर में हूँ, जब फुरसत हो जाये तो कॉल करना।
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आंखों से याचना करती कि प्लीज...अरज...सुनो...मेरी...पूजा के उपरांत हां हां, एक तरफ रुकी हूं, मतलब ठिठक के नहीं, चलते हुए ही रुकी हूं और ठिठक के क्यों नहीं वही तो...अरज...सुनो...मेरी..., एक राउंड लगा कर आती हूं फिर बताती हूं, अधूरी बात अगली किस्त में, अगला राउंड अभी आयी, भूलना नहीं, पूजा के बाद इधर मुखातिब होना, जब फुरसत हो जायेगी, और सुनना और पकड़ लेना मुझे और रोक देना और बांध देना।